रोगदा बांध को बेचने के बाद राज्य सरकार ने अब पावर प्लांट में जल आपूर्ति के लिए डोंगाकोहरौद में नया बांध बनाने नहर व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की दो सड़कों को बेच दिया है। यही नहीं केन्द्र सरकार की रेशम परियोजना के तहत् 80 एकड़ क्षेत्र में लगी कोसा-बाड़ी को भी पावर प्लांट के लिए दे दिया गया है। सरकारी विभागों से अब तक पावर प्लांट को निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने की बात सामने आई है। सरकार के किसान विरोधी रवैये को लेकर क्षेत्र में भारी जनाक्रोश है। इस मसले को लेकर प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद ग्रामीण अब हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
हैदराबाद की केएसके महानदी पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा जिले के अकलतरा विकासखंड के ग्राम नरियरा में 3600 मेगावाट का पॉवर प्लांट स्थापित किया जा रहा है। प्लांट के लिए नरियरा व आसपास के कई गांवों की करीब 2 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित की जा रही है। पावर प्लांट के लिए अकलतरा से मुरलीडीह होकर नरियरा तक रेल लाईन निर्माण भी किया जाना है, जिसके लिए पावर कंपनी ने रोगदा स्थित 133 एकड़ भूमि पर बने बांध को अधिग्रहित कर उसे पाट दिया है। इस मामले को लेकर राज्य सरकार विवादों में पहले ही घिर चुकी है, क्यांेकि रोगदा बांध को पावर प्लांट के सुपुर्द किए जाने से क्षेत्र में सिंचाई की समस्या गहराने की संभावना है। जिसे लेकर क्षेत्र के किसानों के अलावा जनप्रतिनिधियों ने विरोध किया था। इधर रोगदा बांध बेचे जाने का मामला ठंडा नहीं पड़ा है कि राज्य सरकार ने पामगढ़ क्षेत्र में स्थित पीएमजीएसवाय की सड़क, जल संसाधन की माईनर नहर तथा 80 एकड़ भूमि पर केन्द्र सरकार के अनुदान से रेशम विभाग द्वारा लगाई गई कोसा-बाड़ी को पावर प्लांट के लिए दे दिया है। शासकीय अभिलेखों पर गौर करें तो पीएमजीएसवाय के तहत् केसला से डोंगाकोहरौद तक 5.4 किलोमीटर सड़क वर्ष 2001-02 में 90 लाख 76 हजार की लागत से बनवाई गई थी। वहीं मेनरोड पामगढ़ से रोझिनडीह तक 40 लाख 4 हजार की लागत से 2 किलोमीटर लंबी सड़क 18 मार्च 2007 को पूर्ण हुई थी। ये दोनों सड़कें पावर प्लांट के लिए निर्माणाधीन बांध की चपेट में आ गई हैं। इसी तरह जल संसाधन विभाग की डोंगाकोहरौद से केसला माईनर नहर भी प्रभावित हो रही है, जिससे क्षेत्र की 500 एकड़ से अधिक कृषि भूमि सिंचित होती है। इसके अलावा वर्ष 1999 में केन्द्र सरकार के अनुदान से रेशम विभाग द्वारा डोंगाकोहरौद में लगाई गई कोसा-बाड़ी 80 एकड़ क्षेत्रफल में विस्तारित है। जिसे उजाड़कर वहां बांध बनाने के लिए पावर प्लांट के ठेकेदारों ने स्व-सहायता समूह को अल्टीमेटम दे दिया है। बताया जाता है कि बांध के लिए पामगढ़ क्षेत्र की 298 एकड़ शासकीय भूमि को अधिग्रहित किया जा रहा है, जिससे चारागाह और हरियाली का क्षेत्र समाप्त हो जाएगा। वर्तमान में बांध के लिए डोंगाकोहरौद केसला व रोझिनडीह में निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी है। बांध निर्माण का कार्य तेजी के साथ चल रहा है कि निर्माण क्षेत्र में सैकड़ों हाईवा व जेसीबी मशीनें लगा दी गई हैं। कुछ मशीनों से क्षेत्र को समतल किया जा रहा है, वहीं कुछ मशीनें खुदाई व रेत डंपिग का कार्य कर रही हैं। यहां तक कि ठेका कंपनी ने बाहरी राज्यों से लाए अपने मजदूरों के रहने के लिए वहां अस्थायी निवास भी बनवा दिए हैं। एक तरफ जहां बांध का काम प्रभावित विभागों के बेरोकटोक जारी है, वहीं क्षेत्र में बांध निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बांध से प्रभावित हो रहे कोसा-बाड़ी को संचालित करने वाली महिला समूह की अध्यक्ष सावित्री बाई, सदस्य झूलबाई व बुधवारा बाई का कहना है कि वे 11 वर्षों से कोसा उत्पादन कर अपना जीवकोपार्जन कर रही हैं। वे किसी भी स्थिति में बांध के लिए कोसा-बाड़ी को उजड़ने नहीं देंगी। बांध के विरोध में महिला समूह के सभी सदस्यों ने हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन रेशम विभाग के माध्यम से केन्द्र सरकार को भेजा है। इसके अलावा जिला प्रशासन को भी महिलाओं ने कई बार ज्ञापन देकर काम रूकवाने की गुहार लगाई है। जबकि क्षेत्र के सैकड़ों किसानों ने डोंगाकोहरौद, केसला माईनर नहर को बचाने के लिए राज्यपाल से लिखित शिकायत की है। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि वे अपनी भूमि को उपजाउ बनाए रखने वाली नहर तथा गौचर भूमि को बचाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे। बांध से प्रभावित नहर, सड़क व कोसा-बाड़ी को बचाने के लिए संबंधित विभागों ने भी शासन को पत्र लिखा है, जिसमें पावर कंपनी द्वारा की जा रही मनमानी तथा अवैध निर्माण किए जाने की जानकारी भेजी गई है, जबकि इस संबंध में पावर कंपनी के अधिकारी कुछ भी कहने से परहेज कर रहे है। कुल मिलाकर केएसके पावर प्लांट कंपनी को बांध, नहर, सड़क व कोसाबाड़ी बेचने वाली राज्य सरकार अब पूरी तरह से सवालों के घिरती जा रही है।
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