जांजगीर-चांपा के डोंगाकोहरौद में एक दशक पूर्व लगाई गई कोसाबाड़ी की जमीन को जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र ने बेजाकब्जा बताकर रेशम विभाग को कब्जा छोड़ते हुए केएसके महानदी पावर प्लॉट को हस्तांतरित करने का नोटिस जारी किया है, जबकि कोसाबाड़ी की भूमि के लिए राजस्व विभाग व ग्राम पंचायत से जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र व अन्य दस्तावेज रेशम विभाग के पास है। बावजूद इसके नियम-कायदों को धता बताते हुए जिला प्रशासन ने उस जमीन को केएसके महानदी पावर प्लांट को बांध बनाने के लिए लीज पर दे दी है। इससे कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।
केएसके महानदी पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा पामगढ़ क्षेत्र के ग्राम डोंगाकोहरौद में बांध का निर्माण कराया जा रहा है, जिसमें महानदी से पानी लाकर भरने की योजना है। बांध में संग्रहित जल को पावर प्लांट के उपयोग में लाया जाएगा। बांध निर्माण के लिए जिला प्रशासन ने पावर कंपनी को डोंगाकोहरौंद व आसपास की करीब 300 भूमि आबंटित कर दी है। इससे पामगढ़ क्षेत्र में स्थित पीएमजीएसवाय की दो सड़क, जल संसाधन की माईनर नहर तथा कोसाबाड़ी प्रभावित हो रही है। कोसाबाड़ी को दस वर्ष पूर्व केन्द्र सरकार के अनुदान से रेशम विभाग द्वारा 103 एकड़ क्षेत्रफल में लगवाया गया है, जिसे उजाड़कर वहां बांध बनाने के लिए पावर प्लांट के ठेकेदारों ने स्व-सहायता समूह को अल्टीमेटम दे दिया है। आगामी कुछ दिनों में कोसाबाड़ी में लगे अर्जुन व साजा के पौधों को तबाह कर वहां बांध निर्माण कराया जाएगा। शासकीय रिकार्ड पर गौर करे तो, डोंगाकोहरौद में कोसाबाड़ी लगाने के लिए उक्त जमीन 6 फरवरी 2001 को तत्कालीन कलेक्टर द्वारा विधिवत् आदेश जारी कर रेशम विभाग को आबंटित की गई। साथ ही कोसाबाड़ी के लिए ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी दी गई थी। भू आबंटन संबंधी समस्त दस्तावेज रेशम विभाग के पास है, जबकि कुछ माह पूर्व जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र ने कोसाबाडी की जमीन को बेजाकब्जा बताते हुए रेशम विभाग को कब्जा छोड़ने का नोटिस जारी किया है। उद्योग विभाग के महाप्रबंधक के भेजे नोटिस का मजमून यह बताता है कि डोंगाकोहरौद में स्थित खसरा नंबर 19, रकबा 9.308 हेक्टेयर भूमि उद्योग विभाग को कलेक्टर भू-बंटन द्वारा आबंटित की गई है, उक्त भूमि को औद्योगिक प्रयोजन के लिए केएसके महानदी पावर कंपनी को लीज पर दे दी गई है। जबकि मौके पर भूमि का कब्जा हस्तांतरण के लिए सीमांकन के दौरान 23 एकड़ भूमि पर रेशम विभाग का बेजा-कब्जा पाया गया है, जिसे छोड़ते हुए पावर कंपनी को भूमि हस्तांतरित करने की बात नोटिस में लिखी हुई है। इसके जवाब में रेशम अधिकारी ने उद्योग विभाग को कोसाबाड़ी के लिए भूमि आबंटन संबंधी दस्तावेज तथा बिन्दुवार ब्यौरा भेजा है, साथ ही केएसके महानदी पावर कंपनी को भूमि हस्तांतरित करने पर अपनी आपत्ति जताई है। बहरहाल केएसके महानदी पावर प्लांट को स्थापित करने के लिए शासन-प्रशासन ने सारे नियम कायदों को भुला दिया है, यही वजह है कि जिला प्रशासन ने कोसाबाड़ी लगने के 11 वर्ष बाद अब उसे अवैध बताकर भूमि खाली करने का नोटिस जारी करवाया है।
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