जांजगीर-चांपा के बाराद्वार क्षेत्र में प्रस्तावित आधुनिक पावर एण्ड नेचुरल रिसोर्सेस कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है। पावर प्लांट से तीन गांवों की कृषि भूमि प्रभावित होगी, जिसके लिए किसानों ने दो बार उप तहसील बाराद्वार का घेराव भी किया है। ग्रामीण अब अपनी जमीन को बचाने के लिए लामबंद हो रहे हैं।
बाराद्वार क्षेत्र में 1320 मेगावाट के पावर प्लांट की स्थापना के लिए कलकत्ता की आधुनिक पावर एण्ड नेचुरल रिसोर्सेस कंपनी लिमिटेड ने राज्य सरकार से एमओयू किया है। कंपनी प्रबंधन को पावर प्लांट के लिए सकरेली, डूमरपारा व डेरागढ़ में 960 एकड़ भूमि की आवश्यकता है, जिसके लिए प्रबंधन द्वारा इन दिनों भू-अर्जन की कार्रवाई की जा रही है। पावर प्लांट के लिए प्रस्तावित क्षेत्र में नहर से सिंचाई की सुविधा है। इसके बावजूद कृषि भूमि को पावर प्लांट को दिए जाने से किसान खासे आक्रोशित हैं। प्रस्तावित पावर प्लांट के विरोध में क्षेत्र के ग्रामीण दो बार उप तहसील बाराद्वार का घेराव भी कर चुके हैं। वर्तमान में कंपनी ने भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसकी खबर मिलने के बाद ग्रामीण पावर प्लांट के विरोध में रणनीति तैयार करने में जुटे हैं। यही वजह है कि इन दिनों ग्राम डूमरपारा, डेरागढ़ व सकरेली में लगातार ग्रामीणों की बैठक बुलाई जा रही है, जिसमें गांव भर के लोग शामिल होकर विरोध दर्ज करा रहे हैं। आक्रोशित ग्रामीणों को रिझाने के लिए पावर कंपनी के अधिकारियों द्वारा लगातार प्रलोभन दिया जा रहा है, जिसे ग्रामीणों ने कई बार ठुकरा दिया है।
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