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एनटीपीसी ने धनरास हादसे से नहीं लिया सबक

पांच बरस पूर्व धनरास स्थित राखड़ बांध से हुई त्रासदी के बावजूद एनटीपीसी प्रबंधन ने सबक नहीं ली है। एनटीपीसी प्रबंधन एक बार फिर उसी भराव क्षेत्र में राख भराने की तैयारी कर रहा है, जहाँ राखड़ बांध फूटने की वजह से भारी तबाही आई थी। वन एवं पर्यावरण विभाग से अनुमति लिए बगैर एनटीपीसी ने यहां दोबारा राखड़ बांध बनाने हेतु सागौन व कई प्रजातियों के सैकड़ों पौधों व वृक्षों को कटवा दिए हैं। इससे पर्यावरणविद सहित क्षेत्र के बाशिंदे खासे चिंतित है।

कोरबा जिले के दर्री में करीब 200 एकड़ क्षेत्रफल में स्थित ग्रीन बेल्ट क्षेत्र को एनटीपीसी प्रबंधन उजाड़ कर वहां राख भराव करने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए एनटीपीसी प्रबंधन ने वन तथा पर्यावरण विभाग से अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझा है। मसलन ग्रीन बेल्ट एरिया को उजाड़ने प्रबंधन के अधिकारी नियमों के विपरित टेंडर जारी कर मनमर्जी पर अमादा हो गए हैं। खास बात यह है कि प्रबंधन के अधिकारियों ने संबंधित ठेकेदार को पेड़ काटने के लिए भले ही कह दिया है, लेकिन पेड़ों की कोई संख्या तय नहीं की गई है। पर्यावरणीय शर्तों के साथ खिलवाड़ करने का यह घातक रवैया एनटीपीसी द्वारा ही जारी दस्तावेजों से उजागर होता है। प्रबंधन द्वारा अवैध तरीके से निकाले गए निविदा के अनुसार धनरास ऐश डाइक के पास 19 लाख क्यूबिक मीटर राखड़ भराव का काम कराना है। इसके पहले लगभग 200 एकड़ क्षेत्रफल में मौजूद बेल्ट में खड़े पेड़ों की कटाई कराकर उन पेड़ों को वन विभाग में जमाकर क्लीयरेंस प्राप्त करना होगा। ये सभी कार्य ठेकेदार को कराने होंगे। गौर करने वाली बात यह है कि एनटीपीसी द्वारा लगभग 5 वर्ष पूर्व में ग्रीन बेल्ट के लिए निविदा जारी कर पौधारोपण कराया गया और धनरास स्थित राखड़ बांध के आसपास 80 मीटर भूमि पर पौधे लगवाए गए, जिनकी देखरेख का काम कटघोरा वनमंडल द्वारा किया जा रहा है। ग्रीन बेल्ट क्षेत्र विकसित करने बाद एनटीपीसी द्वारा अब इसे अवैध रूप से नष्ट करवाया जा रहा है। इसके लिए कंपनी प्रबंधन ने वन एवं पर्यावरण विभाग से अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझा है। ग्रीन बेल्ट क्षेत्र से हसदेव नदी की दूरी महज 50 मीटर है। ऐसे में नदी के अस्तित्व पर संकट गहराने की आशंका है। हालांकि इसकी शिकायत के बाद कलेक्टर आरपीएस त्यागी ने तहसीलदार को जांच के आदेश दे दिए हैं,लेकिन इस मामले में एनटीपीसी के खिलाफ अब तक की गई कार्रवाई को उजागर नहीं किया जा रहा है।

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