डाल्फिन इंटरनेशनल स्कूल के संचालक राजेश शर्मा एवं प्रबंधन के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद जांजगीर में संचालित स्कूल के संचालन पर असमंजस की स्थिति बन गई है। यहां पढ़ने वाले 200 छात्र-छात्राओं का भविष्य भी अधर में लटक गया है। पिछले कई दिनों अभिभावक लगातार स्कूल के चक्कर लगा रहे हैं।
जिला मुख्यालय जांजगीर में पिछले वर्ष जोर शोर से डाल्फिन इंटरनेशनल स्कूल का फिल्म अभिनेता मुकेश खन्ना व गुफी पेंटल ने उद्घाटन किया था। इस दौरान अभिभावकों के समक्ष बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने व अनेक सुविधाएं देने की बात कही गई थी। स्कूल प्रबंधन के झांसे में आकर अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल में दाखिला करा दिया। कुछ ही दिनों में स्कूल की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि 202 छात्र-छात्राओं ने यहां अध्ययन के लिए प्रवेश ले लिया था। इसके एवज में स्कूल प्रबंधन को 36 लाख रूपए प्राप्त हुए। वहीं एकमुश्त फीस योजना के तहत् 54 विद्यार्थियों के अभिभावकों ने तकरीबन 29 लाख रूपए जमा कराए थे। योजना के तहत् पढ़ाई की एकमुश्त फीस 12 कक्षा तक कुल 65 हजार रूपए प्रति छात्र ली गई थी, जबकि वार्षिक शुल्क के रूप में 152 विद्यार्थियों से 7 लाख रूपए प्रबंधन को मिले थे। मगर स्कूल में न तो पर्याप्त व्यवस्था मिली और न ही उच्चस्तर की शिक्षा। अभिभावकों को अचानक उस समय झटका लगा, जब डाल्फिन स्कूल के संचालक राजेश शर्मा पर करोड़ों रूपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ और वे फरार बताए जा रहे हैं। इंस घटना के बाद से डाल्फिन स्कूल जांजगीर के संचालन पर भी असंमजस की स्थिति बन गई है। अभिभावक रोजाना स्कूल पहुंचकर जानकारी ले रहे हैं कि उनके बच्चों का क्या होगा। मगर स्थानीय प्रबंधन की ओर से कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं दिया जा रहा है। इससे अभिभावक खासे चिंतित हैं और स्कूल संचालन को लेकर शिक्षा विभाग पर भी उंगलियां उठा रहे हैं। आज जानकारी लेने स्कूल पहुंचे कुछ अभिभावकों ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों के भविष्य के लिए मोटी रकम उधार लेकर यहां जमा कराई थी, लेकिन संचालक के कारनामों से उनके बच्चों का भविष्य अंधकार मय दिख रहा है। कुछ अभिभावकों ने बताया कि अब वे इस स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते। यदि प्रबंधन उनकी रकम वापस नहीं करेगा तो वे कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से मामले की शिकायत करेंगे। इधर स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को लगातार आश्वासन देकर स्थिति संभालने में लगा हुआ है। स्थानीय प्रबंधन का कहना है कि उन्हें भी दो महीने से वेतन नहीं मिला है। वे भी चाहते हैं कि स्कूल का संचालन किसी संस्था द्वारा अपने हाथ में लिया जाए, ताकि बच्चों का भविष्य बरबाद न हो तथा उनका रोजगार भी न छिने। इधर २६ मार्च को डाल्फिन इंटरनेशनल स्कूल के नए सत्र में संचालन के लिए भर के संबंधित शाखाओं के प्राचार्यों की बैठक रायपुर में रखी गई थी। मगर वहां प्रबंधन की ओर से कोई नहीं पहुंचा। जिसके चलते प्राचार्यों ने अपने स्तर पर अभिभावकों से बातचीत कर स्कूल के संचालन के लिए सहयोग मांगने का निर्णय लिया है। कुल मिलाकर डाल्फिन स्कूल के संचालन के संबंध में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। किराए के भवन में स्कूल संचालित होने से अब मान्यता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा विभाग ने प्रबंधन को आंख मूंदकर मान्यता दे दी, जिसका परिणाम उन्हें भुगतना पड़ रहा है। स्कूल में कार्यरत शिक्षक भी इस पूरे घटनाक्रम के लिए खुद को पाक साफ बताते हुए संचालक को दोषी ठहरा रहे हैं।
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