न्यूनतम मजदूरी अधिनियम एवं श्रम कानून का उल्लंघन किए जाने पर श्रम विभाग ने केएसके महानदी पावर कंपनी लिमिटेड के मालिक शास्त्री सहित आधा दर्जन कंपनियों के खिलाफ न्यायालय में मामला दर्ज कराया है। श्रम कानून का उल्लंघन करने में सरकार का पावर प्लांट भी पीछे नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड मड़वा-तेंदूभाठा में भी न्यूनतम मजदूरी अधिनियम तथा कर्मकार अधिनियम के उल्लंघन का मामला पाया गया है। जिसके आधार पर मड़वा तेंदूभाठा पावर प्लांट में निर्माण कार्य में लगी कंपनी बीजीआर, ब्रिज एंड रूफ तथा इंडवेल के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया गया है।
जांजगीर-चांपा जिले में निर्माणाधीन पावर कंपनियों द्वारा पिछले कई माह से श्रम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। एक तरफ जहां कंपनियों में कार्यरत ठेकेदारों द्वारा दीगर प्रांतों से मजदूरों को लाकर स्थानीय मजदूरों का हक छीना जा रहा है। वहीं स्थानीय मजदूरों को निर्धारित दर से कम मजदूरी दिए जाने तथा श्रम कानूनों का उल्लंघन किए जाने के मामले बढ़ते जा रहे थे। खासकर केएसके महानदी पावर कंपनी, आरकेएम पावरजेन, सीजीएसपीजीसीएल में कार्यरत ठेका श्रमिकों को कार्ड बनाकर देने में कोताही बरती जा रही थी ताकि दुर्घटना होने की बाद उन्हें मुआवजा देने से कंपनी बच सके। इसकी शिकायत श्रम विभाग को कई बार मिली थी। लेकिन कंपनियों की उंची पहुंच के चलते विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा था। पावर कंपनियों में मजदूरों के शोषण की शिकायत शासन स्तर पर होने के बाद आखिरकार श्रम विभाग को कार्रवाई करनी पड़ी। शिकायत के आधार पर जिला श्रम पदाधिकारी के नेतृत्व में श्रम निरीक्षकों द्वारा किए गए जांच के दौरान कई कंपनियों में श्रम कानून का उल्लंघन पाया गया है। नरियरा में निर्माणाधीन 3600 मेगावाट की केएसके महानदी पावर कंपनी में कार्यरत चीनी कंपनी सेपको, पुंज लाएड, एसएन लांबा, पेट्रोन मैकेनिकल, सांधा इलेक्टर, रूखमणि प्रोजेक्ट द्वारा मजदूरों को कम मजदूरी दी जा रही थी। जिसके कारण उन कंपनियों के खिलाफ बिलासपुर स्थित श्रम न्यायालय में मामला दर्ज कराया गया है। इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य वि़द्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड के मड़वा-तेंदूभाठा ताप विद्युत परियोजना में कार्यरत तीन कंपनी, डभरा क्षेत्र में निर्माणाधीन आरकेएम पावरजेन के खिलाफ भवन एवं अन्य सन्निर्माण, कर्मकार कल्याण अधिनियम के उल्लंघन का मामला दर्ज कराया गया है। इसके अलावा और भी कई कंपनियां हैं जहां श्रम कानूनों का उल्लंघन पाए जाने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है।
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