जवान बेटे की मौत के गुनाहगारों को सजा दिलाने के लिए बुजुर्ग मां तीन माह से पुलिस अधिकारियों के चौखटों पर माथा रगड़ रही है, लेकिन मामले में थानेदार के फंसे होने के कारण पुलिस अधिकारी कार्रवाई की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे है, जबकि थानेदार व उसके स्टाफ के कर्मचारियों द्वारा महिला को रूपए का लालच देकर मामला दबवाने का बार-बार प्रयास किया जा रहा है। पिछले बार 10 हजार रूपए का लालच दिया गया था, लेकिन महिला के इंकार करने पर अब उसे पचास हजार रूपए लेकर चुपचाप घर बैठने के लिए धमकाया जा रहा है।
जांजगीर-चांपा जिले के बस स्टैण्ड बाराद्वार निवासी रमाबाई यादव के पुत्र राजेश उर्फ जटिया यादव ने 9 नवंबर को बस स्टैंड स्थित अपने मकान में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मौके पर मिले सुसाईड नोट में बाराद्वार थाना प्रभारी जीपी श्रीवास पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए आत्महत्या किए जाने की बात लिखी थी। मौके पर मिले सुसाईड नोट व अन्य सामानों को पुलिस ने जप्त कर लिया था, लेकिन परिजनों को यह नहीं बताया गया कि क्या-क्या सामान जब्त किया गया हैं। मामले में बाराद्वार थानेदार का नाम आने से पुलिस अधीक्षक डॉ आनंद छाबड़ा ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसआर भगत को जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन घटना के तीन माह बीत जाने के बाद भी अब तक इस मामले की जांच पूरी नहीं हो सकी है। इस मामले की छानबीन के लिए कुछ दिनों पूर्व रायपुर से एलआईबी की एक टीम आई हुई थी, जिसने महिला का बयान दर्ज कर लिया है। बावजूद इसके कार्रवाई में लगातार विलंब हो रही है। रमाबाई ने बताया कि थानेदार श्रीवास व उसके स्टाफ के लोग आए दिन उसके घर आकर मामले को खत्म करने की धमकी दे रहे हैं। डेढ़ माह पूर्व पुलिसकर्मियों द्वारा 10 हजार रूपए लेकर मुंह बंद करने की चेतावनी दी गई थी, जिसकी शिकायत भी उसने जांच अधिकारी से की, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। उसने बताया कि पिछले कुछ दिनों से फिर पुलिसकर्मी उसके घर आकर पचास हजार रूपए लेकर कागजात पर हस्ताक्षर करने की बात कहते हैं तथा मना करने पर गाली-गलौज करते हैं। महिला का कहना है कि कमाऊ बेटे की मौत के बाद उसका गुजारा मुश्किल हो गया है। ऐसे में उसकी मौत के गुनाहगारों को सजा दिलाने के बाद ही वह चैन की सांस लेगी।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें