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बलौदा क्षेत्र के 68 परिवार जम्मू से लापता

"मजदूरी करने के लिए एक वर्ष पूर्व पलायन कर जम्मू गए बलौदा क्षेत्र के 68 परिवार लापता हो गए हैं। मानव आयोग से पत्र मिलने के बाद लापता मजदूरों का पता लगाने श्रम अधिकारी पिछले एक पखवाड़े से परेशान हैं, लेकिन मजदूरों की कोई खबर नहीं मिल रही है। "

प्रशासन व श्रम विभाग के अधिकारी जहां जिले से मजदूरों का पलायन रोकने की मशक्कत कर रहे हैं, वहीं बलौदा क्षेत्र के 68 परिवारों के जम्मू से एक वर्ष बाद भी लौटकर नहीं आने की खबर ने प्रशासन व श्रम अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। बलौदा क्षेत्र के ग्राम चारपारा, पहरिया सहित आसपास के गांवों के 70 परिवार एक साथ साल भर पहले मजदूरी की तलाश में पलायन कर जम्मू गए थे। एक साथ सैकड़ों लोगों के पलायन की शिकायत मिलने पर श्रम विभाग के अधिकारियों ने जम्मू कलेक्टर को पत्र लिखकर मजदूरों को गांव वापस भेजने का आग्रह किया था, जिस पर जम्मू के अधिकारियों ने कार्रवाई करते हुए मजदूरों को ठेकेदारों की चंगुल से रिहा कराकर वापस लौटने के लिए रवाना किया। जम्मू से रवाना हुए महज 2 परिवार ही गांव वापस लौटे हैं, जबकि 68 परिवारों का साल भर से पता नहीं है। इसकी शिकायत क्षेत्र के कुछ लोगों ने मानव अधिकार आयोग से की है, जिस पर आयोग ने परिवारों की खोजबीन के लिए श्रम विभाग को पत्र लिखा। आयोग से पत्र मिलने के बाद श्रम निरीक्षकों ने बलौदा क्षेत्र में सर्वे किया है, जिसमें जम्मू से वापस लौटे दो परिवार के मुखिया कबाड़ का धंधा कर रहे हैं। उनसे श्रम अधिकारियों ने जम्मू गए ग्रामीणों के संबंध में पूछताछ की, लेकिन उन्होंने किसी तरह की जानकारी नहीं होने की बात कही है। यही नहीं जम्मू से लापता 68 परिवारों की जानकारी क्षेत्र में रहने वाले उनके रिश्तेदारों को भी नहीं हैं। नतीजतन श्रम अधिकारियों को लापता मजदूरों के संबंध में जानकारी नहीं मिल पा रही है, कि वे आखिर कहां हैं। उल्लेखनीय है कि पलायन रोकने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार कई योजनाएं चला रही है, लेकिन उन योजनाओं का उचित क्रियान्वयन नहीं होने से जिले से मजदूरों के पलायन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं आए दिन जिले के मजदूरों के दीगर प्रांतों में बंधक होने की शिकायतें मिल रही है। खासकर जिले के बलौदा, पामगढ़ व जैजैपुर ब्लॉक में कई गांव ऐसे है, जहां के ज्यादातर लोगों ने खरीफ फसल कटाई के बाद पलायन करना शुरू कर दिया है। कुल मिलाकर मजदूरों को रोजगार दिलाने में तो प्रशासन पूरी तरह असफल है, वहीं उनका पलायन रोकने भी विशेष प्रयास नहीं कर रही है।

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