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पीयूसीएल नेता डॉ. बिनायक सेन रिहा

नक्सलियों से संबंध रखने राष्ट्रद्रोह के आरोप में पिछले चार माह से सेंट्रल जेल रायपुर में कैद पीयूसीएल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. बिनायक सेन को आखिरकार सोमवार की शाम करीब सात बजे जेल से रिहा कर दिया गया है। डॉ सेन को पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे, लेकिन जिला एवं सत्र न्यायालय से जमानत की शर्ते तय नहीं हो पाने के कारण उन्हें जेल से छूटने में समय लग गया।

सोमवार को जिला सत्र न्यायालय द्वारा जमानत की शर्ते तय किए जाने के बाद उन्हें पचास-पचास हजार रूपए के दो बांड पर रिहा किया गया है। दरअसल, सोमवार 18 अप्रैल को डॉ. विनायक सेन की रिहाई होगी या नहीं, इसे लेकर सुबह से ही कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन शाम 5.30 बजे जिला सत्र न्यायालय द्वारा डॉ सेन की रिहाई के आदेश जारी करते ही चर्चाओं पर विराम लग गया। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अप्रैल को ही डॉ. सेन को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी करते हुए निचली अदालत को शर्ते तय करके के लिए निर्देशित कर दिया था। इस आदेश के आधार पर में डॉ. सेन के वकील महेंद्र दुबे और एसके फरहान ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की प्रतिलिपि के साथ सोमवार 18 अप्रैल को जमानत के लिए जरूरी दस्तावेज जिला सत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। इसके बाद न्यायाधीश ने विवेचना करते हुए सशर्त रिहाई का आदेश दिया। इसके बाद डॉ सेन के वकील महेंद्र दुबे ने अदालत द्वारा रखी गई सभी शर्तो को पूरा करने की कार्रवाई शुरू की और जमानतदार के रूप में उनकी पत्नी इलीना सेन को सामने रखा। इस दौरान न्यायालय ने दो बार उनके दस्तावेजों को निरस्त कर दिया। बाद में फ्लैट के दस्तावेज और सैलरी स्लिप जमा कराई गई, जिसके आधार पर अदालत का समय समाप्त होने से पांच मिनट पूर्व न्यायालय ने डॉ. सेन की रिहाई के आदेश जारी किए।

डॉ. सेन के जेल से बाहर आते ही उनकी दोनों बेटियां दौड़ पड़ीं और गले मिलकर रोने लगीं। जेल के बाहर सेन की पत्नी इलिना सेन और मां समेत पूरा परिवार इंतजार कर रहा था। इनके अलावा सेन के मित्र और समर्थकों की भी भारी भीड़ थी। बाहर के आने के बाद डॉ सेन सबसे पहले परिवार से मिले और फिर समर्थकों को धन्यवाद दिया। डॉ सेन की रिहाई के बाद जन मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने सेंट्रल जेल के बाहर डीजीपी विश्वरंजन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। साथ ही सलवा जुडूम को भी कोसा।


जमानत की शर्ते
- जिला व सत्र न्यायालय ने 50 हजार स्वयं के बांड (निजी मुचलका), 50 हजार बेलर (जमानतदार) को अदा करना।
- निचली अदालत की आवश्यकता पर डॉ. सेन को कोर्ट में आना होगा।

- अदालत के आदेश के बिना विदेश जाने पर पाबंदी।
- अपना वीजा या पासपोर्ट कोर्ट में जमा करना होगा।

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